सोयाबीन MSP 2024 : इन 7 जिलों में नहीं होगी MSP पर सोयाबीन की खरीदी, इस तरह सरकार करेगी फसल का भुकतान

सोयाबीन MSP 2024 : इन 7 जिलों में नहीं होगी MSP पर सोयाबीन की खरीदी, इस तरह सरकार करेगी फसल का भुकतान नमस्कार दोस्तों, आज के हमारे इस आर्टिकल में आपका स्वागत हैं। दोस्तों आज से मध्यप्रदेश में किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीदी शुरू हो चुकी है। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जानकारी दी है कि 1400 खरीदी केंद्रों पर सोयाबीन का उपार्जन समर्थन मूल्य पर किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस प्रक्रिया को बेहद संवेदनशीलता और पारदर्शिता के साथ अंजाम दिया जाए, ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित मात्रा से अधिक सोयाबीन की खरीदी करने की जरूरत महसूस होने पर राज्य सरकार भी अतिरिक्त उपार्जन करेगी। यह कदम किसानों के हित में है, ताकि उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन किया जा सके।

इन 7 जिलों में नहीं होगी MSP पर सरकारी खरीदी

दोस्तों मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ जिलों में सोयाबीन की खरीदी फिलहाल नहीं की जाएगी। इनमें दतिया, भिंड, कटनी, मंडला, बालाघाट, सीधी, और सिंगरौली जैसे जिले शामिल हैं। हालांकि, इन जिलों से सोयाबीन खरीदी के लिए प्रस्ताव आने पर सरकार इस पर विचार करेगी। इस साल 25 सितम्बर से 20 अक्टूबर तक ई-उपार्जन पोर्टल पर किसानों का पंजीयन हुआ, जिसमें लगभग 3.44 लाख किसानों ने पंजीयन करवाया है। इसके आधार पर खरीदी केंद्रों की संख्या को जरूरत के हिसाब से बढ़ाया या घटाया जा सकता है।

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फसल का भुगतान होगा ऑनलाइन

दोस्तों केंद्र सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जिस पर खरीदी का काम 31 दिसम्बर 2024 तक चलेगा। इस दौरान किसानों को उनकी उपज का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसान सीधे लाभ उठा सकें।

अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि केवल अच्छी गुणवत्ता वाली सोयाबीन की ही खरीदी की जाए। खरीदी केंद्रों पर किसानों को किसी भी असुविधा से बचाने के लिए जरूरी इंतजाम किए गए हैं, जिसमें कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करना भी शामिल है।

प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत पहली बार होगी सोयाबीन की खरीदी

दोस्तों इस साल पहली बार राज्य में प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत सोयाबीन की खरीदी की जा रही है। इस प्रक्रिया में कृषि विभाग नोडल विभाग के रूप में और मार्कफेड उपार्जन एजेंसी के रूप में काम करेगी। किसान ई-उपार्जन पोर्टल के माध्यम से अपनी उपज बेच सकते हैं और भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जाएगा।

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सरकार का यह कदम उन किसानों के लिए राहत लेकर आया है, जिनकी फसलें इस साल मौसम की मार झेल चुकी हैं। सोयाबीन की सरकारी खरीदी से प्रदेश के किसानों को आर्थिक संबल मिलेगा, और कृषि क्षेत्र में स्थायित्व की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित होगा। किसानों की उम्मीदें और सरकार की कोशिशें एक बार फिर मध्यप्रदेश में कृषि को नए सिरे से सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

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