नवनिवाहित जोड़े की पहली रात को क्यों कहा जाता है ‘सुहागरात’, और क्यों है ‘सुहागरात’ जरूरी नमस्कार दोस्तो, इस साल भारत में लाखों करोड़ों शादियां हो रही है, हर तरफ बारात के बैंड बाजे सुनाई दे रहे है। दोस्तो सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी नए हमसफर के साथ फोटो और वीडियो शेयर कर रहे है। दोस्तो शादियों में कई तरह के रीति रिवाज निभाए जाते है, हर धर्मो में शादी का एक अहम स्थान है और सभी धर्मों में अगल अगल तरह के रीति रिवाज और रस्मों से शादी होती है। दोस्तो हिन्दू धर्म में जयमाल, सिंदूर दान, सात फेरे, कन्यादान, गठबंधन जैसी कई सारी रस्में निभाई जाती है।
दोस्तो शादियों में की जाने वाली सभी रस्मों का अपना एक अलग महत्व है, और सभी रस्मों को लोग जानते है, इन्हीं में से सुहागरात है। दोस्तो इस रस्म को नवनिवाहित जोड़े के लिए बहुत खास माना जाता है। दोस्तो दूल्हा दुल्हन की शादी के बाद जो पहली रात होती है, लेकिन क्या आपको पता है पहली रात को सुहागरात क्यों कहते है, अगर नहीं जानते है तो चलिए जानते है इसकी पूरी जानकारी के बारे में
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क्या है सुहागरात का महत्व
दोस्तो शादी के बाद वाली पहली रात नवनिवाहित जोड़े के लिए बहुत ही खास मानी जाती है। यह वही रात होती है जिस दिन नवनिवाहित पति पत्नी एक दूसरे के जानते है और अपनी शादीशुदा जिंदगी को आगे बढ़ाते है, इसीलिए इस रस्म को एक अहम रस्म माना जाता है। दोस्तो अक्सर लोग इस रस्म का नाम सुनते ही शर्माने लगते है या हिचकिचाने लगता है, लेकिन यह रस्म कई मायनों में बहुत जरूरी है।
क्यों कहा जाता है शादी की पहली रात को सुहागरात?
दोस्तो अब बात करें सुहागरात के शब्द की तो यह शब्द संस्कृत सौभाग्य शब्द से जुड़ा है, ऐसा माना जाता है कि सौभाग्य से ही सुहाग का उद्गम हुआ है। सुहाग और सुहागन इन दोनों ही शब्दों का इस्तेमाल विवाहित महिला के लिए किया जाता है। सुहाग यानी पति के सौभाग्य को बढ़ाने के लिए महिला को सुहाग की निशानियां जैसे सिंदूर, चूड़ियां, पायल, बिछिया, मंगलसूत्र आदि पहनाया जाता है। ऐसे में सुहागन बनने के बाद शादी की पहली रात को सुहागरात कहा जाता है। आसान भाषा में कहें तो सुहागन बनने के बाद नए जोड़े की पहली रात को ही सुहागरात कहा जाता है।