डीएपी खाद : सरकार द्वारा किसानों को डीएपी खाद उपलब्ध कराने के लिए उठाए बड़े कदम, मिलेगा भरपूर खाद नमस्कार दोस्तों आज के हमारे इस आर्टिकल में आपका स्वागत है। दोस्तों रबी फसल की सीजन शुरू हो गई है और रबी फसल में डीएपी खाद की मांग बहुत अधिक बढ़ जाती है, जिसके चलते दोस्तो किसानों को डीएपी खाद मिलने में कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, ऐसे में दोस्तों भारत सरकार उर्वरक विभाग से कई चुनौतियां होने के बावजूद सभी राज्यों को DAP खाद की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। दोस्तो सरकार के मुताबिक प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भारत को कम निर्यात तथा लाल सागर संकट जैसी मौजूद भू-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण इस वर्ष डीएपी के आपूर्ति प्रभावित हुई है
दोस्तों सरकार के मुताबिक राज्यों की मांग को पूरा करने के लिए भारत डीएपी खाद की आयात पर निर्भर है वर्तमान में डीएपी के लगभग 60% उपलब्धता आयातित आपूर्ति से पूरी होती है इसके अलावा घरेलू उत्पादन में भी कच्चे माल के आयात पर निर्भर करता है। लाल सागर संकट के कारण फास्फेटिक एसिड सहित जहाजों को ‘ केप ऑफ गुड होप, के रास्ते से गुजरना पड़ा जिसके कारण यात्रा का समय लंबा हो गया और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न हो गया।
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बंदरगाहों पर पहुंचा 17 लाख डीएपी खाद
दोस्तों रसायन एवं उर्वरक विभाग के अनुसार इस रबी सीजन में विभिन्न बंदरगाहों पर 17 लाख टन से भी अधिक डीएपी खाद को पहुंचाया गया और अक्टूबर और नवंबर महीने में देश के सभी राज्यों को भेजा गया है। इसके अलावा लगभग 6.50 लाख टन घरेलू उत्पादन राज्यों को उपलब्ध कराया गया है। आयातित और घरेलू डीएपी खाद अब तक राज्यों में उपलब्ध बफर स्टॉक को छोड़कर लगभग 23 लाख तन हो गई है।
दोस्तो उर्वरक विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों में पिछले साल की रबी सीजन की तुलना में इस साल 5 लाख टन अधिक विभिन्न ग्रेड के एनपीकेएस का उपयोग किया गया। दोस्तो पूरे देश में पिछले रबी फसल की तुलना में 10 लाख टन अधिक एनपीकेएस की खपत की है।
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दोस्तो केंद्र सरकार के अथक प्रयासों फलस्वरूप वर्तमान रबी सीजन के दौरान अब तक कल 34.81 लाख मैट्रिक टन डीएपी खाद और 55.14 लाख मैट्रिक टन एनपीकेएस उपलब्ध कराई जा चुके हैं स्थानीय स्तर पर उपलब्धता को शीघ्र आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्यों में रेलवे और उर्वरक कंपनियों के साथ मिलकर सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।